यूँ "सवालों" की गर्दिश से
निकल पाने के लिए,
हर दफा....
मेरा खानाबदोश हो जाना,
ज़रूरी है क्या?
एक ख़ाली सा कमरा,
दवात भर स्याही,
असँख्य खयाल
और कुछ अल्फ़ाज़.....
जिन्हें इस कोरे से कागज़ पर
ठहर जाना मंज़ूर हो।
"जवाब" का ये सलीका,
काफ़ी नहीं है क्या?
-
Dr. Jyotirmayee Patel
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Just a lost soul.....with nowhere to go....!!
Joined 15 April 2018
20 JAN AT 23:10
4 JAN AT 18:19
Sometimes the chaos in my head
baffles the poltergeist shareing my space.
How can at times....
my thoughts be
noiser and deafening for him too!-
8 DEC 2024 AT 22:11
रात इतनी रोशन भी न हो...
की सितारों को देख पाना
दुश्वार हो जाये।-
3 MAY 2024 AT 11:22
पता नहीं....
अट्टहास भरती, ये दुनियाँ है
या चारों तरफ़....
बस आईने है।-
18 APR 2024 AT 20:52
एक "माज़ी" है,
जो कभी गुज़रा ही नहीं।
और एक "लम्हा" है,
जिसे रोकने में
सारी क़ायनात लगी है।-
27 FEB 2024 AT 10:54
ग़ुलाब पर "काँटो" का गम
मनाते रहोगे....
तो काँटो में जो
एक "ग़ुलाब" भी है,
तुम कब देख पाओगे?-
18 DEC 2023 AT 20:36
तुम गिनते रह जाओगे अपनी गलतियाँ,
और दुनियाँ गुस्ताख़ी कर बैठेगी।
तुम्हें तुमसे छीन लेने की,
वो हर कोशिश कर बैठेंगी।-