Dr. Anil Agyat   (डॉ. अनिल "अज्ञात")
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M. A., M. Ed., NET, Ph. D.
Joined 22 April 2018


M. A., M. Ed., NET, Ph. D.
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29 JUN AT 15:53

इन भीगती राहों में तेरी यादें भी खास हैं,
इन यादों का समंदर मेरे दिल के पास है।
कौन कहता है मिलना जरूरी है इश्क में,
मुझे तो तन्हाई में भी तेरा ही एहसास है।

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13 JUN AT 13:21

इस दीदार-ए-हुस्न को संजो कर रखूँ कैसे? तू ही बता,
मैं हो जाता हूँ नाकाम हर बार, खुद को याद रखने में।

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26 MAY AT 18:28

शबनम की बूँदों सी नाजुक,
एक तितली घर में आई है।
देख उसे मन तृप्त हुआ,
वह परियों की परछाई है।।

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26 MAY AT 18:22

अपनी नन्ही मुस्कान से वो,
सबको खुश कर जाती है।
वह पंखुड़ियों सी कोमल है,
फिर भी सबसे बतलाती है।।

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5 MAY AT 9:27

मुझको तो इतना पता था, तू नूर है शहजादियों में।
तितली बन कर रहती है तू, मेरे दिल की वादियों में।।
दिख गई साजिश तेरी, जब मैं फंसा तूफान में।
टूट सा मैं तब गया, जब देखा तुमको आंधियों में।।

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25 APR AT 9:24

बहुत लंबा नहीं जीवन,
तुम इतना क्यों इतराते हो।
उम्मीदों के समंदर में,
क्यों इतना डूब जाते हो।।
भरोसा है न पल भर का,
इसे भी ध्यान में रखना।
सब कुछ जानकर खुद को,
क्यों इतना भरमाते हो।।

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22 APR AT 17:17

तन का पपीहा, चहकने लगा है।
मन ये मेरा अब, बहकने लगा है
छुआ था जो मैंने, ख्वाबों में उसको।
रोम-रोम मेरा भी, महकने लगा है।

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6 APR AT 15:38

बंद है जो बोतल में, ये हुस्न की रवानी है।
अंगूर के बेटी की, यौवन की निशानी है।।
यूंँ बदनाम न करो इसे, 'मदिरा' के नाम से।
ये तो दिल के मारो की, अनकही कहानी है।।

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6 APR AT 11:21

गर नहीं होना है तुमको अब से वंचित,
सब कुछ कर दे उसको अर्पित, कर्म को तू हो समर्पित।
सुकून है इसमें तू इसको जान ले, कर्म के इस मर्म को पहचान ले।
क्या पता है जिंदगी कितनी बची? अच्छे विचारों को अभी तू छान ले।
देखना क्या दूसरों के दोष को, माप ले अपने उभरते होश को।
खुद पे तो कोई नियंत्रण है नहीं, रोक न पाया तू अपने रोष को।
गर नहीं होना है तुमको अब से वंचित,
सब कुछ कर दे उसको अर्पित, कर्म को तू हो समर्पित।

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14 MAR AT 10:25

नूतन ये शुरुआत हुई,
रंगों की बरसात हुई।
दहन हुआ राक्षसपन का,
विजित सत्य सौगात हुई।
#हैप्पी होली #

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