Dlp Chauhan  
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Joined 11 August 2018


Joined 11 August 2018
11 JUL 2022 AT 19:06

इश्तेहार दे दो के ये दिल खाली है...

वो जो आये थे किरायेदार निकले.....

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10 JUL 2022 AT 21:03

ग़म और खुशी में फर्क न महसूस हो जहाँ,

मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया।

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17 JAN 2022 AT 10:42

हम रोते तो बाबूजी भी रो देते,

हँसते रहना आँखों की मजबूरी थी।

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16 JAN 2022 AT 10:43

झूठ बोला है तो कायम भी रहो उस पर जनाब,

आदमी को "साहब-ए-किरदार" होना चाहिए।

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15 JAN 2022 AT 10:05

चाले ही चलनी हैं.. तो शतरंज खेलो...

इसके लिये.. रिश्ते मुनासिब नही है जनाब..!

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10 JAN 2022 AT 21:25

अकेली हो जाती है दुनियाँ...
जब माँ कहती हैं,
तू भी कुछ सीख ले ,,
मैं कब तक साथ रहूँगी..!

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10 JAN 2022 AT 9:51

एक एक कर के.. कत्ल हो रही थी, फिर भी...

हम अपनी ख्वाहिशों की.. एक कतार देखते रहे..!

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9 JAN 2022 AT 11:28

आँख का भी एक भाई होता हैं,

जिसे लोग "आई ब्रो" बोलते है..!

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7 JAN 2022 AT 13:16

दौलत थोड़ी कम भी चलेगी,

फ़िक्र खर्चिए ज्यादा हम पर..!

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3 JAN 2022 AT 22:13

वो थक गयी थी, भीड़ में चलते हुए...

उसके बदन पर अनगिनत आँखो का बोझ था।

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