Diwan Singh Bisht   (STonE HEaRt)
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Joined 6 April 2018


Joined 6 April 2018
5 MAR 2019 AT 21:09

भूल गया चंद लम्हों में ही उन सब का दर्द।
जो खड़ा है सरहद पे मेरी सलामती के ख़ातिर।।

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27 FEB 2019 AT 10:43

लड़ो, लड़ मरो, एक दूसरे से तुम।
जाने क्यू हो रहे है वो शहीद तुम्हारे अमन के खातिर।।

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24 JAN 2019 AT 15:29

तन्हा गुजर रहे है पल इस भरे बाजार में।
अपनी परछाई भी कभी कभी बोझ लगती है।
तू न समझे, और कैसे समझाऊँ मैं।
ज़िन्दगी मेरी ना जाने क्योँ तुझको मदहोश लगती है।।

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10 JAN 2019 AT 10:44

कुछ ख़्वाब से आँखों के, कुछ आस भरे मोती।
जो तुझको लुभा जाये, वो गीत मैं गाता हूँ।।

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18 SEP 2018 AT 19:37

गज़ब की मनहूसियत छा गयी फिजाओं में।
हरेक शख़्स आँखों में जज़्बात छुपाये बैठा है।

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18 SEP 2018 AT 18:12

गज़ब की मनहूसियत छा गयी फिजाओं में।
हरेक शख़्स आँखों में जज़्बात छुपाये बैठा है।

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9 SEP 2018 AT 20:37

गर कर ना सके उसको जमीदोंज।
तो तुझे अपना कहने का मेरा कोई हक़ नहीं बनता।।

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6 SEP 2018 AT 1:32

वो दामन में अपने आग लगाये बैठे है।
हमसे सुनना है सच और अपना छुपाये बैठे है।।

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2 SEP 2018 AT 17:02

बहुत डरने लगा हूँ रंगों के खेल से जनाब।
जाने कौन कब किसका क़त्ल कर जाये।।

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1 SEP 2018 AT 11:00

एक धुन्ध सी फ़ैली है दिखावे की,
शहर के चारो तरफ़।
किस सड़क से ग़ुजरू,
जो तुझको पा जाऊं।।

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