भूल गया चंद लम्हों में ही उन सब का दर्द।जो खड़ा है सरहद पे मेरी सलामती के ख़ातिर।। -
भूल गया चंद लम्हों में ही उन सब का दर्द।जो खड़ा है सरहद पे मेरी सलामती के ख़ातिर।।
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लड़ो, लड़ मरो, एक दूसरे से तुम।जाने क्यू हो रहे है वो शहीद तुम्हारे अमन के खातिर।। -
लड़ो, लड़ मरो, एक दूसरे से तुम।जाने क्यू हो रहे है वो शहीद तुम्हारे अमन के खातिर।।
तन्हा गुजर रहे है पल इस भरे बाजार में।अपनी परछाई भी कभी कभी बोझ लगती है।तू न समझे, और कैसे समझाऊँ मैं।ज़िन्दगी मेरी ना जाने क्योँ तुझको मदहोश लगती है।। -
तन्हा गुजर रहे है पल इस भरे बाजार में।अपनी परछाई भी कभी कभी बोझ लगती है।तू न समझे, और कैसे समझाऊँ मैं।ज़िन्दगी मेरी ना जाने क्योँ तुझको मदहोश लगती है।।
कुछ ख़्वाब से आँखों के, कुछ आस भरे मोती।जो तुझको लुभा जाये, वो गीत मैं गाता हूँ।। -
कुछ ख़्वाब से आँखों के, कुछ आस भरे मोती।जो तुझको लुभा जाये, वो गीत मैं गाता हूँ।।
गज़ब की मनहूसियत छा गयी फिजाओं में।हरेक शख़्स आँखों में जज़्बात छुपाये बैठा है। -
गज़ब की मनहूसियत छा गयी फिजाओं में।हरेक शख़्स आँखों में जज़्बात छुपाये बैठा है।
गर कर ना सके उसको जमीदोंज।तो तुझे अपना कहने का मेरा कोई हक़ नहीं बनता।। -
गर कर ना सके उसको जमीदोंज।तो तुझे अपना कहने का मेरा कोई हक़ नहीं बनता।।
वो दामन में अपने आग लगाये बैठे है।हमसे सुनना है सच और अपना छुपाये बैठे है।। -
वो दामन में अपने आग लगाये बैठे है।हमसे सुनना है सच और अपना छुपाये बैठे है।।
बहुत डरने लगा हूँ रंगों के खेल से जनाब।जाने कौन कब किसका क़त्ल कर जाये।। -
बहुत डरने लगा हूँ रंगों के खेल से जनाब।जाने कौन कब किसका क़त्ल कर जाये।।
एक धुन्ध सी फ़ैली है दिखावे की,शहर के चारो तरफ़।किस सड़क से ग़ुजरू,जो तुझको पा जाऊं।। -
एक धुन्ध सी फ़ैली है दिखावे की,शहर के चारो तरफ़।किस सड़क से ग़ुजरू,जो तुझको पा जाऊं।।