मुहब्बत के मौसम में जुदाई की रसमें निभा रही हूँबस थोड़ा सा सुकून बख़्श मेरी रूह को इन छलकते आँसूओं में उसकी तसवीर न बह जाए। - ©Divyasha Om
मुहब्बत के मौसम में जुदाई की रसमें निभा रही हूँबस थोड़ा सा सुकून बख़्श मेरी रूह को इन छलकते आँसूओं में उसकी तसवीर न बह जाए।
- ©Divyasha Om