16 SEP 2017 AT 22:10

मोहब्बत भी अधूरी, जज़्बात भी अधूरे
अधूरी रह गई फिर एक दास्तान

कितनी वफ़ा से तेरे दीदार के लिए तरसती हूँ।

- ©Divyasha Om