और मशहूर कर दो आवारगी मेरी...
मैं मेरे शहर से दूर जा रहा हूँ...-
लखनऊ , उ.प्र. 🙏
I'm here just to write my thoughts. 📝
हम उनके किराएदार का किरदार निभा रहे हैं...
आज बेघर हैं हम...
और वो अपना घर बार बना रहे हैं...
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जान ले लो मेरी मैं खुद का कत्ल ना कर दूँ...
बस ये बात ना बने कि खुद से हार गया था...-
ज़हर ढूढ़ना पड़ता है खून थूकने को...
इश्क़ कर लो साहब...
काम आसान करने को...
सबा भी मौत का सबब बन सकती है...
कुदरत से मोहब्बत जो हो...
ज़र की चाह में...
मौत आसान करने को...
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हम तुम्हें तुम्हारी जिंदगी सौंप देंगे...
बस खुदा से खुद की सिफारिश करो...-
ये इश्क जो हो तो किसी ऐसे वैसे से ना करना...
ये कुछ ही बार होता है, किसी खास के लिए रखना...-
मेरे इज्ज़त में कमी खुद मुझसे है सनम...
ये मत पूछ अब मेरा हाल कैसा है...
तू पत्थर से सब्र कर मेरे होश आने तक...
ये मत पूछ ये मलाल कैसा है...
बेफ़िक्र रह, तुझे और मिल जाएंगे...
क्यूँ, कैसे, कब, अब ये सवाल कैसा है...
मैं तो यूँ ही हूँ बस खिलौना तेरे लिए...
ये मत पूछ अब मेरा हाल कैसा है...
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मेरे तरफ़ तो सब वफादार हैं...
वफादार बेवफ़ाई के...
वफादार खुदगर्जी के...-
जो समझते हो हम मसरूफ हैं बगल में...
भूल जाने को साहब अब नया खेल चाहिए...-
क्यूँ सौदा इश्क़ का अब मुनासिब नहीं...
मैंने लोगों को जिस्म बेचते देखा है...
इतनी भी क्या कीमत है इश्क़ की...
मैंने जिस्म को झरोखों से देखते देखा है...
बात ज़माने की करो तो सर पर चढ़ा लिया है...
वर्ना पहले तो इश्क़ को ज़मी पर रेंगते देखा है...
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