दिन नया, रात को आगोश में ले अपने चला आता है हर रोज़व्याकुलता को मिटाने, सुबह के उजले सवेरे कर जानेयादों की किताबों का रंग कभी फीका नहीं पड़ता//दिव्या // - Knotsuntangled
दिन नया, रात को आगोश में ले अपने चला आता है हर रोज़व्याकुलता को मिटाने, सुबह के उजले सवेरे कर जानेयादों की किताबों का रंग कभी फीका नहीं पड़ता//दिव्या //
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