कविता प्रेम की वह
सुन्दर ध्वनि
जो मात खाए
जब रुक जाए
खिलखिलाये, हँसाये
जब ज़ुबान पर आए मेरे
दिल पर छा जाए तेरे

रचनाकार को रचना है
जागृत मूर्त

- दिनेश