अजीब दास्तां हैं इन कमबख्त आसुँओं की…..
कभी-कभी बिन बात ही छलक उठतें हैं और कभी जब हम जी भर कर रोना चाहें..तो अकेला कोना तो कभी हम किसी कांधे की तलाश करने लग जाते हैं….
ताकि किसी अपने की पनाह में ये आसूँ छलक जाए….
दो पल का सुकून पाने की खातिर………………
- © Dimple Saini