16 AUG 2019 AT 17:44

जरूरत के हिसाब से जिंदगी जियो
ख्वाहिश के हिसाब से नहीं
क्योंकि जरूरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है
और ख्वाहिश तो बादशाहो की भी अधूरी रह जाती हैं

- Diler Singh Khaira