30 JUN 2021 AT 18:54

तुम्हें गैरों से कब फुर्सत,
हम अपने गम से कब खाली?
चलो, बस हो चुका मिलना
न तुम खाली न हम खाली ।


:-Munshi Premchand

- कुमार अविनाश