तेरे नाम की मेंहदी ओर मांग में सिंदूर लगा लूं हाथो चूड़ी और आंख में काजल लगा लूं मगर अधूरा रहता है श्रृंगार मेरा ये जब तक सामने आके तुम्हारे होश न उड़ा दू
तेरी छुपी को क्या समझे? तेरे बदलते हुए अंदाज को क्या समझे? तेरा यू छोड़ कर जाना क्या समझे? तेरे मजबूरी के बहाने देने को क्या समझे? मेरे हर सवाल पे तेरा मुकर जाना क्या समझे? क्यू खड़ा है तू चुप कुछ तो कह