शब्दों का यह उलट फ़ेर देखिएकभी जो सुहाते थेआज बिल्कुल नहीं भाते हैंकंठ तब भी वही थाकंठ आज भी वही हैतब आवाज़ लरज़ती थीअब कानों को चीरती हैतब अंदाज़ बड़ा भाता थाअब बर्दाश्त नहीं हो पाता हैकंठ तब भी वही थाकंठ आज भी वही है - Dhiraj
शब्दों का यह उलट फ़ेर देखिएकभी जो सुहाते थेआज बिल्कुल नहीं भाते हैंकंठ तब भी वही थाकंठ आज भी वही हैतब आवाज़ लरज़ती थीअब कानों को चीरती हैतब अंदाज़ बड़ा भाता थाअब बर्दाश्त नहीं हो पाता हैकंठ तब भी वही थाकंठ आज भी वही है
- Dhiraj