अपने संजोए हुए मुहब्बत-ए-एहसासों
पर तब्सिरा-ए-तबाह क्यों करूं
इस जहान के सामने.....,,,
जिन्हें मुद्दतों से बसाया है मैंने अपनी
दिल-ए-गहराई में बड़े
एहतियात से.....!!!
जो बन कर ख़ून-ए-जाँ फ़कत देवेन्द्र
की रूह-ए-उल्फ़त में
दौड़ता है.....,,,
फिर क्या हुआ जो मिलन मुकम्मल
ना हो सका मगर अहसासात तो
आज भी जिन्दा हैं दोनों
की रूह में.....!!!-
जिन रिश्तों में सिर्फ़ दिखावा-ए-मोहब्बत
हो सदा के लिए.....,,,
उन लोगों की नींव स्थाई कभी ही नहीं
पाती हैं इस बहरूपी
संसार में.....!!!
कैसे बयां करें फ़कत देवेन्द्र
अपने एहसास-ए-दर्द को
हर्फ़-दर-हर्फ़.....,,,
जबकि इन्सान मुरीद हो गया
अपनी झूठी शानो शौकत
सुनने का.....!!!-
पापा से सीखा है दुनियांदारी के हर
पहलु समझने का लहज़ा.....,,,
कैसे हर इन्सान की नीयत को सही
तरीके परखने का हुनर
दिया है.....!!!
किस तरह से जीवन की राह में आने
वाली मुश्किलों से निजात
हैं पाना.....,,,
पापा ने सिखाया है कैसे ख़ुद को ख़ुद
के काबिल बनाना चाहिए.....!!!
बेहतर शिक्षा लेकर हर दौर-ए-ग़र्दिश
से बाहर निकालने का सामर्थ्य
रखना है.....,,,
सीख पापा की ने फ़कत देवेन्द्र को
अंदरूनी तौर पर मज़बूत
किया है.....!!!
जिससे इस दौर-ए-कलयुग में अपना
वर्चस्व स्थापित कर सकें.....,,,
पापा के नाम को इस दो जहान में
रौशन कर सकें.....!!!-
True Love is a door of Happiness in whole life....,,,
That's make every one prefect in his work and life.....!!!
Because fakat Devinder when a person gets inner happiness.....,,,
That's reflect in his working capacity which increases his proformance positively.....!!!-
Loving the wrong person make your life hell.....,,,
You always remain surrounded by bad thoughts in your life......!!!
Be Strong Fakat Devinder remove the wrong person from his life.....,,,
So can make your life best in the whole world.....!!!-
महबूब की ख़ुशी सदा बस्ती ही
दिल-ओ-जहन में.....,,,
फ़कत देवेन्द्र ने हर इच्छाओं का
ध्यान रखना अपने जीवन का
अमृत माना हैं.....!!!
जिससे महकती रहती है खुशियां
हमारे गुलिस्तां में.....,,,
उस रंग-ए-नूर चेहरे को देख जीवन
जीना आसान होता हैं.....!!!
मिलती हैं मंजिल-ए-मकसूद उस
खिले हुए दो-जहां से.....,,,
जिसमें बस्ती हैं खुश्बू
उल्फ़त-ए-एहसास की
मेरे महबूब की.....!!!-
मेरे धड़कते एहसासों के लिए मुद्दतों से
सोच रहा हूं कि उल्फत-ए-आरजूओं
को बड़े शौक़ से पाला है.....,,,
मौज-ए-सबा की तरह मोहब्बत सुबुक-ए-पाँव
से मेरे दिल-ओ-ज़हन में
बस्ती चली गई......!!!
बचपन से अनुराग-ए-ख़्वाबों की माँग हैं
कि फ़कत देवेन्द्र नूर सिंदूर की
कहकशाँ खींच दूँ.....!!!
मग़र ये वाजिब नहीं बिन उनकी इजाज़त
के उम्र के इस पड़ाव में अपने
चाहत-ए-इश्क़ को सरे
बाजार रूसवा
कर दूँ.....!!!-
मेरे धड़कते एहसासों के लिए मुद्दतों से
सोच रहा हूं कि उल्फत-ए-आरजूओं
को बड़े शौक़ से पाला है.....,,,
मौज-ए-सबा की तरह मोहब्बत सुबुक-ए-पाँव
से मेरे दिल-ओ-ज़हन में
बस्ती चली गई......!!!
बचपन से अनुराग-ए-ख़्वाबों की माँग हैं
कि फ़कत देवेन्द्र नूर सिंदूर की
कहकशाँ खींच दूँ.....!!!
मग़र ये वाजिब नहीं बिन उनकी इजाज़त
के उम्र के इस पड़ाव में अपने
चाहत-ए-इश्क़ को सरे
बाजार रूसवा
कर दूँ.....!!!-
अपनों से उम्मीदें कभी मत रखना
ऐ मेरी जिन्दगी-ए-ख़ास.....,,,
जब दौर-ए-ग़र्दिश-ए-बादल आता हैं
सबसे पहले इनके चेहरे
बदल जाते हैं.....!!!
फ़िर तोड़ देते वो ख़ुद अपने सब रिश्ते
नाते फ़कत देवेन्द्र.....,,,
जिन रिश्तों पर तुझे सब से ज्यादा
गुमान और नाज़ था.....!!!
संभल जा ख़ुद की अंदरूनी ताकत को
महसूस और उसे जागृत कर.....,,,
तभी तू ख़ुद अपने जीवन की समस्याओं
से निजात पा सकता हैं.....!!!-
तुम कुछ इस तरह से तलबगार बन कर समाई हो तन्हाई-ए-ख़ास में.....,,,
ना कुछ और सूझता है फ़कत देवेन्द्र को तेरी खिलखिलाहट सुनने के सिवा.....!!!-