रंग रहे रोम-रोम में राम,
राधा में राधे, सिया में श्रीराम।
राह रचे रमता रसमय वाला,
रूप नहीं, बस रोशनी निराला।-
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My Hindi books - सिन्ड्रेल... read more
रात चुपचाप उतरी आँगन में,
तारों की छाँव बिखेर दी उसने
जैसे पूर्वजों की पुरानी दुआ मिली हो।
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कोरा काग़ज़ देर तक चुप रहा
कलम उसके पास यूँ ही बैठी रही
इक हल्की-सी स्याही की आहट हुई,
दोनों के बीच कोई ख़त शायद लिखा गया।-
I miss you — deeply.
Nights feel more empty.
Your silence speaks loud.
Memories ache softly.
Distance burns quietly.
Come back — simply.
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कभी यूँ ही, अपने साथ भी रहा करो
सबके साथ तो रहते हो,
थोड़ा अपने साथ रह लिया करो।
बहुत दिन हुए, तुमने खुद से पूछा नहीं कैसे हो?
लोग पूछते हैं, तुम जवाब देते हो
पर अपने भीतर बैठे की भी, सुन लिया करो।
तुम्हारे बिना तुम भी अधूरे हो
कभी खामोशी में खुद से भी मिल लिया करो।
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खोल अपनी जुबाँ, नजर मिला कर जवाब दे
टूटी है तू कितना, इसका तू हिसाब दे
तोड़ बेढ़ियाँ डर की, जिसमें बंधी है तू
शेरनी तुम भारत की,
अपनी ताकत की दहाड़ दे ।
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सब कुछ रखा अपनी जगह पर,
मैं भी वहीं रखा था शायद।
खुद में झांका, माँ की याद थी वहाँ पर।-
शुभरात्रि
महबूब मेरी कलम अल्फाज़ मेरे जज़्बात
सफ़्हों के बिस्तर पर लेट सजाते रहे ख़्वाब
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तेरी मोहब्बत में खुद को खो देने के बाद
तेरा दिया दर्द भी मुनाफ़े का सौदा लगता है ।
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