3 AUG 2017 AT 7:54

माफ़ कर रहे कर्ज़ तुम अमीरों का
कर रहे सौदा किसानों के शरीरों का
उगाता है मेहनत से तब अनाज
तेरी थाली में दाल रोटी बन के आ रहा
और तू उसी के जीवन को खा रहा
नज़र तुम्हारीें सिर्फ शेयर मार्केट तक जा रही
देखो तुम्हारी रोटी किसकी मेहनत से उग के आ रही
हर दिन कोई किसान इस दुनिया को छोड़ रहा
तू यह नित दिन पैसों के लिए रो रहा
तू कल भी गरीब था आगे भी रहेगा
कोठियां भरने से अमीरी नहीँ आती
दुआओं की पोटली हर किसी के हिस्से नहीं आती
क्या से क्या बदलने के सपने तुम दिखा रहे
कृषि व्यवस्था के नाम पे आंखें मूंदे जा रहे
ना तू कोठी में दफन होगा ना सोने का कफ़न होगा
इतना गुरूर दौलत का अच्छा नहीं है
तू भी मिट्टी का है मिट्टी में दफ़न होगा

- dev gangwar(nd)