19 JUL 2017 AT 22:37

चलता रहूँगा चलने में माहिर हूँ
मंजिलें जीतीं फिर भी मुसाफिर हूँ
तुम्हें मुबारक हों मंजिलें
तुम्हे मंजिलें बदलने का शौक होगा
हम तो कल भी मुसाफिर थे
और आज भी मुसाफिर हूँ।।।।

- dev gangwar(nd)