24 MAY 2021 AT 6:07

जो खुद पंखुरियों - सी नाज़ुक हैं,
उसे मैं क्या गुलाब दूँ,
जो मेरी हर शायरी में हैं,
उसके नाम की ग़ज़ल मैं क्या लिखूँ...

- ©देव ✍️