जब नाव जल में छोड़ दी
तूफ़ान में ही मोड़ दी !
दे दी चुनौती सिंधु को ,
फिर पार क्या मझधार क्या ।।
कह मृत्यु को वरदान ही
मरना लिया जब ठान ही !
रण को किया प्रस्थान ही ,
फिर जीत क्या फिर हार क्या !!
जब छोड़ सुख की कामना
आरम्भ कर दी साधना !
भगवान शंकर हो गये,
फिर राख क्या श्रृंगार क्या !!
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3 OCT 2019 AT 0:18