वक्त की तलवार को नज़रअंदाज़ मत करना ।
फ़तह के लिए कोई खुशामद मत करना ।
शाबाशी देते ज़माने की यादाश्त कमज़ोर है ।
तारीफ़ बटोरना बेशुमार मगर यकीं मत करना ।
कुछ क़ायम इतना नहीं जो क़ायम रह जाए।
जफ़ाकश रहना मगर सुकून ज़ाया मत करना ।
~ अनंत स्याही| The Perpetual Inkpot-
✍🏻 The Perpetual Inkpot | अनंत स्याही
पहले वाले रंग हमें पसंद नहीं हैं ।
हम मगर मायूस
या बेरंग नहीं है ।
चोरों को लगता है हम मुफ़्लिसी में हैं ।
उनसे कहो चोरी का सामान शौक से रखें,
हमें अब वो पसंद नहीं है ।
पकने लगी हैं ज़रूर जो काली लटे थीं जुल्फों की।
कुछ तुजुर्बे हैं पर ताउम्र चले,
यह वो जंग नहीं हैं ।
किस्से बेतहाशा और लफ्ज़ हैं नाकाफी ।
इम्तेहान हो जाते हैं
मगर हम तंग नहीं हैं ।-
मैं अब तुम्हारे लिए गीत नहीं लिखती ।
कागज़ पर या मेहंदी में ' मनमीत ' नहीं लिखती ।
आगे या पीछे नहीं, तुम साथ चलते हो मेरे अब ।
पड़ोसन मगर अब कोई अफवाह नहीं लिखती ।
मुझे तो आज भी बहुत है मिलना तुमसे ।
दुआ मांग मैं पीपल तले तुम्हारा नाम नहीं लिखती ।
क्या यह कलम भूल गई है मुहब्बत हमारी ?
हिसाब लिखती है, अरमान नहीं लिखती ।
~ अनंत स्याही • The Perpetual Inkpot-
बकवास
अंतहीन है
इसलिए
शुरू न करें।
~The Perpetual Inkpot • अनंत स्याही-
मैं चौखट पर उदास खड़ा न रहूंगा ।
मैं कलयुग का, सुदामा बन, चुप न रहूंगा ।
तू होगा द्वारकाधीश, लक्ष्मीपति ।
मैं तेरे अंग लगूंगा, तुझसे दूर न रहूंगा ।
माना कि अधम बड़ा हूं मैं ।
भोग पाऊंगा मैं भी छप्पन, मीरा सा विष पी न रहूंगा ।
मैं दरिद्र नहीं हूँ, धनवान नहीं बस ।
तेरे रहते खाली झोली न रहूंगा ।
~
The Perpetual Inkpot • अनंत स्याही
-
मां छिपा लेती है दर्द अपने
सिंदूर के नीचे,
काजल के पीछे ।
पिता के पास नहीं ये विकल्प ।
पिता अपनी पीड़ा अखबार में लपेटते है ।
~ The Perpetual Inkpot• अनंत स्याही-
घर नौकरी से चलता है ।
इस नाकद्र दुनिया में
शायर तो भूखा मरता है ।
The Perpetual Inkpot|
अनंत स्याही-
They are not
a ' family '
if you can't see
each other's
phone contents.
They could be
friends,
acquaintances or
anything but Family.
Don't let people
emotionally
blackmail you
in the name
of "family".-
having not to
worry about
who said what
to
whom.
~ The Perpetual Inkpot | अनंत स्याही-
दिल तुम्हारा
पत्थर है,
वर्षों से शापित अहिल्या सा बंजर ।
तुम कहो तो, अपने प्रेम से,
इसको फिर ' गौतमी ' कर दूं ।
~ The Perpetual Inkpot|अनंत स्याही-