दर्द जो बह चला है आज आँखों से मेरी,
रुकने का यह नाम नहीं ले रहा ।
रोने दे आज मुझे यह बार बार कह रहा,
क्यों है चुपचाप तू क्यों है मुझे सह रहा ।
बह जाने दे मुझे इन आंसुओं के साथ,
कुछ दिन के लिए छुड़ा ले मुझसे हाथ।
मैं दर्द हूँ कोई ख़ुशी नहीं जरूर लौटकर आऊंगा,
जो वादा कर रहा हूँ लौटने का उसको निभाउंगा।
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