Deependra Sajwan   (कच्चा राइटर)
107 Followers · 77 Following

Joined 20 June 2017


Joined 20 June 2017
26 JUN 2020 AT 0:20

अनकही बातें जो कह न पाया,
आज कहना तो चाहता हूं |
पर जिस से कहनी है वो बातें,
आज वो शख्स ही नहीं है |

-


11 JAN 2020 AT 20:17

Jab koi apna juda hone wala ho to gam to hoga
Ashk na bahe par dil to nam hoga.

Jo gujaare the pal saath woh yaad ban jaaenge
Jab bhi hoga unka jikr to yaad bahut aaenge.

Ab jo thoda waqt hai bacha saath mai
Usko bhi hans kar gujar le.

Zindagi ki kitab mai ek panna aur jud gaya
Unka rasta ab dusri aur mud gaya.

Yeh raaste fir se aage milenge
Fir se hum saath safar karenge.

Tab tak thoda gam to hoga doston
Aankhen nahi par dil to nam hoga doston.

Ab aur kya likhun doston sab dhundla sa lag raha hai
Shayad dil se ek aansu aankho mai utar raha hai.

-


11 DEC 2019 AT 21:27

All my lies were true
Except one,
That I don't love you.

-


9 NOV 2019 AT 1:04

बचपन मे जिसने हाथ पकड़ चलना था सिखाया।
कदम कदम गिरने पर जिसने था उठाया।
वो दूर कहीं चला गया है वापस नहीं आने को।
पर अपनी कुछ यादें छोड़ गया है याद आने को।

-


9 NOV 2019 AT 1:02

वक़्त बुरा है हालात बुरे हैं,
फ़िर भी आगे बढ़ता रहूंगा,
माता पिता का आशीर्वाद साथ मेरे है।

-


9 NOV 2019 AT 1:01

"आपकी कमर पर निशान कैसे है।", बेटे ने पूछा।

"यह तो जन्म से ही है।", पिता ने मुस्कुराते हुए यह असानी से छुपा लिया की यह निशान उनके पिता की अकाल मृत्यु के चलते मज़दूरी करने से बने थे|

-


9 NOV 2019 AT 0:57

दर्द जो बह चला है आज आँखों से मेरी,
रुकने का यह नाम नहीं ले रहा ।
रोने दे आज मुझे यह बार बार कह रहा,
क्यों है चुपचाप तू क्यों है मुझे सह रहा ।
बह जाने दे मुझे इन आंसुओं के साथ,
कुछ दिन के लिए छुड़ा ले मुझसे हाथ।
मैं दर्द हूँ कोई ख़ुशी नहीं जरूर लौटकर आऊंगा,
जो वादा कर रहा हूँ लौटने का उसको निभाउंगा।

-


9 NOV 2019 AT 0:53

घर जाने की छुट्टी नहीं मिली इस दिवाली पर,
अब निकलेगा वह हफ़्ता करते दफ़्तर दफ़्तर।
एक दिन की छुट्टी मे अब क्या दिवाली मनाएंगे,
इस साल तो नहीं पर अगले साल ज़रूर घर जाएंगे।

-


9 NOV 2019 AT 0:52

दर्द जो सिमटा हुआ था सीने मे,
आज़ काग़ज़ों पर बह चला है।
दुखः जो बहना था आँखों के ज़रिये,
आज़ स्याही के रंग मे रज़ रहा है।

-


9 NOV 2019 AT 0:51

दर्द भी वही है दवा भी वही है,
मेरे दिल की ज़ुबाँ भी वही है।
है वही चांदी सी चमकती रात मेरी,
सोने सी दमकती सुबह भी वही है।

-


Fetching Deependra Sajwan Quotes