26 MAY 2018 AT 10:15

वो आये थे मुँह उठाये आज हमारी गलियों में,
शायद इक दीदार चाहतें थे...
हो सकता हैं नज़रों का अंदाज़ चाहतें थे...
पर सुकून तो तब मिला जब हमनें ही उन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया... !!

- दीपक चन्देल