उन तारों के निचे या फिर उस डूबते सूरज के सामने, ठंडी-ठंडी हवाओं के बीच में, या फिर हल्की-सी बारिश में भीग के, तुम्हारे ही पास बैठ के, तुम्हे नज़रों में कैद कर के, तुमसे कुछ कहना था । कैसे कहूँ तुम्हे मैं,इरादा मेरा तुम्हे प्यार करना था। लड़ना था,गुस्सा भी दिखाना मेरा, नाराज़ हो कर तुमसे, सवालों पर सवाल कर के सताना मेरा, बस इरादा मेरा तुम्हे बहुत सारा प्यार करना था।।