सुंदरता पर तुम्हारी कुछ लिख देना सरल नहीं। जो प्रेम है तुमसे उस की अभिव्यक्ति संभव नहीं। तुम्हें जो कर सकें शोभित, ऐसे, मुझ पर अलंकार नहीं । पर तुम्हें पाकर मैं अब , शून्य नहीं ।
कुछ धुँधली सी हैं वो वक़्त की तस्वीरें हाकिम जिनमें हर शख़्स साफ़ दिल हुआ करता था । کچھ دھندھلی سی ہیےں وہ وقت کی تصویریں حاکم جن مئ ہر شخص ساف دل ہوآ کرتا تھا
एक सुबह जब मैं जाग जाऊँगा तुमसे पहले और उस रोज़ मुझे तुम्हारी फ़िक्र नहीं होगी तुम्हारा हाल जानने को फ़ोन भी नहीं उठाऊँगा उस रोज़ मैं सिर्फ़ करवट बदलूँगा ।