डॉ कपिल तिवारी   (डॉ कपिल तिवारी)
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Doctor , Amateur Writer
Joined 2 January 2017


Doctor , Amateur Writer
Joined 2 January 2017

सुंदरता पर तुम्हारी
कुछ लिख देना
सरल नहीं।
जो प्रेम है तुमसे
उस की अभिव्यक्ति
संभव नहीं।
तुम्हें जो कर सकें शोभित,
ऐसे, मुझ पर
अलंकार नहीं ।
पर तुम्हें पाकर
मैं अब ,
शून्य नहीं ।

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कुछ धुँधली सी हैं वो वक़्त की तस्वीरें हाकिम
जिनमें हर शख़्स साफ़ दिल हुआ करता था ।
کچھ دھندھلی سی ہیےں وہ وقت کی تصویریں حاکم
جن مئ ہر شخص ساف دل ہوآ کرتا تھا

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दिमाग़ की एक ना सुनी, सिर्फ़ दिल के काम किए हैं ।
मुन्तज़िर ऐसे फ़ैसले, हमने तमाम किए हैं ॥

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फिर मुड़ कर ना देखा उस शहर की जानिब मुन्तज़िर
जहाँ कभी रहता था हर दिल अज़ीज़ यार मेरा

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एक सुबह जब मैं
जाग जाऊँगा तुमसे पहले
और उस रोज़ मुझे
तुम्हारी फ़िक्र नहीं होगी
तुम्हारा हाल जानने को
फ़ोन भी नहीं उठाऊँगा
उस रोज़ मैं सिर्फ़
करवट बदलूँगा ।

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फ़िक्र में तुम्हारी सारी रात जागा मुन्तज़िर,
मोहब्बत के सिवा और वजह क्या होगी ?

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मैं किस से अपनी तन्हाई का शिकवा करूँ
मिले मुझे मुन्तज़िर सा कोई तो गुफ़्तगू करूँ

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कल ही की बात लगती है तुझसे पहली मुलाक़ात मुन्तज़िर
मगर तुझ से आख़री दफे मिले मानो अरसा बीत गया !

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جب ہو ہی نا سکے اسکا دیدار
اس شہر میی منتظر پھر کیا جمع کیا اتوار

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کاش کہ کوئ سن لے آرزوِ دل
ہم بھی ہي منتظر وفا کب سے

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