कशमकश की लहरों में
कुछ इस तरह डूबा मैं
जब कश्ती मिली भी तो
हाथ पकड़ने वाला कोई न मिला हमे— % &-
तो कुछ कहे हैं दिल ने
कुछ लफ्ज़ सिखाएं हैं ज़िन्दगी ने
तो कुछ शब... read more
आज एक बच्चे को झूले पर झूलते देखा
उसमे और मुझ में
बस फर्क़ इतना था
वो बचपन के झूले पर झूल रहा था और मैं जवानी..— % &-
कुछ भी सकून ढूंढ नहीं पाया
मैं पैसों की इन दीवारों में
सब बंधन तोड़ के जाना चाहता हूँ
फिर से अपने पहाड़ो में..— % &-
सुनो माँ..
सुनो माँ आज तेरे आँचल में एक सकून भरा ख़्वाब देखना है
बरसो से जो आँखे बंद करके भी खुली थी,
उन आँखों को बंद करके आज तेरे आँचल में सोना हैं..-
अपने गुजरे हुए वक़्त की कहानी जब खुद को सुनाता हूँ मैं..
न चाहते हुए भी खुद पर हँस जाता हूँ मैं..-
तुम्हारी कोई ख़बर नहीं मिली..
तो मैंने इश्तिहार डाल दिया
जब तुमने पढ़ा उसे
तो एक ही नजर में जला दिया..-
वो बरसात कब होगी
न जाने कब होगी फिर वो मुलाकात
जब बरसात में भीग वो रहीं होगीं
ओर आशियाना होगा मेरे पास..-
हर रात एक नया अफ़साना देखता हूँ मैं
कभी चाँद पर होता हूँ तो कभी ज़मीन से उसे छूता हुँ मैं..-