How's the life going on?
Like science & tech. of today
Fixing 1 thing & opened up others.........
1 benifit & 100s of unseen side effects
I.e. Petrol, EV, concrete jungle, TV, internet, mobile, DJ, earbuds, AI, modern lifestyle, urea/DAP, fast fashion, plastic....-
बस लिखता हूं मिटाता हूं
कभी अल्फाज को, कभी खुदको।
Plz comm... read more
થોડા થોડા દિવસે જાણે હું, આમતેમ ફંગોળાઈ રહ્યો હોઉં
એક સાથે બીજી સમસ્યાઓમાં વગોવાઈ રહ્યો હોઉં
થયો તું ગોરવર્ધનધારી, કેટલાય વંટોળિયાથી બચાવવાને માટે
તો થાય ક્યારેક તું જ સુદર્શનધારી, ભૂલોની લપડાક મારવાને માટે-
त्यौहार अब जब भी आते है
गहरी यादें तुम्हारी लाते है
अश्रुधारा अनंत बहाते है
मौन रह, विरह गीत गाते है
ग़मो के सागर में डुबाते है
तुम्ही को पास बुलाते है-
पहली दफा जो फूल दिया था तुम्हे, किसी पेड़ की नीचे से उठा कर
तुमने संभाल कर रखा था
लेकिन, वो किताब कहां मुझे याद नहीं,
तुमसे जुड़ी हर बात, चीज़ें मिटती जा रही
ईश्वर हर याद को मिटाना चाहता है
ताकि हृदय और ना विलाप करे
वो पेड़, पौधे लगाए गए, संजोए गए, बड़े किए गए
यहां वहां, कुछ न बच रहा, सब एकएक कर बिदा ले रहा
खींची तस्वीरें भी अपनेआप निकल गई मोबाइल से बहुत सारी।
बस, ये बेटा हमारा, साथ मेरे है अब तक,
सब यही कहते, बिल्कुल मां जैसा है दिखता।-
तुम फूल हो तो परिजात सा ही कोई
याद तुम्हारी शाम के पश्चात तो रोम रोम फैलती है
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जब तुम थी मां सा ख्याल रखनेवाली,
तब भी मैं खुद की फ़िक्र नहीं करता था
और आज भी मै खुद की फ़िक्र नहीं करता हूं
एक नायाब प्यारा तोहफ़ा तुम छोड़ जो गई हो।
-
ए काश कि इस दफा भी मैं तुम को जल्द ही वापिस बुला सकता,
जब भी कभी तुम मायके जाती थी हफ्ता रुकने,
महज़ 3 दिन में पास मेरे बुला लेता था।-
त्यौहार है अब जैसे,
कोई रामबाण दवा ही, दर्द करारा बन जाए,
रक्षण कर्ता ही, सटीक भक्षण बन जाए,
निकटतम मित्र ही, सब से घातक शत्रु बन जाए।
जैसे गांधारी का कोई श्राप न हो ये त्यौहार!-
हा, माना कि मुश्किलें तुम्हारी होंगी बढ़ रही
आंखों से अश्रुधारा और भी हो चाहे बह रही
फ़िर भी आगे तुम्हे बढ़ना होगा
खुद को खुद के लिए ही साबित करना होगा
यादें हज़ार बार तुम्हे सताएगी
कोई बुद्धि तुम्हे समझ ना पाएगी
फ़िर भी चलते जाना है
अगन पथ ही तय करना है
साथ थोड़ा बहुत तो मिलना है
उससे ज़्यादा कुछ न याचना है— % &सुख की पहले बड़ी सी बौछारे थी
चाहे अब ग़मभरी बरसाते हो
हर किसीको अपनी जंग खुद लड़नी है होती
तो रूह तुम्हारी क्यों पीछेहट करने में खोती
स्वार्थ के आंसू को तुम्हारे, बहते जाने दो तुम
लक्ष्य की आग में अकेलेपन को, जल जाने दो तुम
गर रखा एक और भी लक्ष्य महान
अब की मुश्किलें और भी घनघोर होंगी
फ़िर भी तुम फ़िक्र मत करना
संग था रहेगा सदा, गीताकार कान्हा— % &-
પહેલા જોડે જ ત્રણેઉ સૂતા હતા આપણે એકઠા
ઊંઘીએ છીએ હવે, અમે બન્ને કેવા વેગળા
તમે હતા હયાત તો, બધું હતું સાથ
હવે બીજું બધું હોવા છતાં, થઈ રહ્યા એકલા
તમારી સંગે તો ભાવના અશ્રુ, નૈને વહેતા
હવે દુઃખના આંસુડા, રોજેરોજ મારે છે ઠેકડા
ઘણો સમય તમને, ખુદને, કવિતાને આપી શકતો
હવે એકબીજામાંથી ઊંચા ન આવી શકતા, અમે બેકલા
માની જેમ જ અદ્દલ લેતા, તમે અમારી બઉ કાળજી
ખુદની જ સારસંભાળ લેવામાં, મારું છું બઉ વેખલા
કીધું'તુ આપણે ત્રણેઉ એક છીએ, કામ કરવાના નેક છીએ
એમ ત્રીજા એટલે કોણ જાણે, કોણ હશે અમારી એકઠા?-