સુDarshan   (Darshan's_diary 🖋️)
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Joined 26 October 2019


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7 JUL AT 14:20


सफ़र जितना शेष है, उसे जीतना है।

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1 JUL AT 19:43

आने से आपके जिंदगी हमारी थी सुलट रही
बिछड़ जाने से आपके, यही जिंदगी अब उलट रही

कितनी खुशगवार थी जिंदगानी हमारी
जिम्मेदारी के चलते हर पल अब पलट रही

आखिरी सांसे गिनी जा रही थी जब आपकी
जाने की इजाज़त देने की बात, हमारी अब गलत रही

एक दिन न बिता कि, जब ये पलके न भीगी हो
अब इन्हीं आंखों में सपनों की सौगात, क्या मतलब रही

खुशी ग़म में साथ हरघड़ी देने का, वादा था आपका
साथ में दुःख, दुःख न था, जाने से ही आपके दुःख की बढ़त रही

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1 JUL AT 10:17

पौधे हमने जितने भी लगाए थे,
कुछ हमारी ग़लती से,
बाकी के थोड़े बड़े हुए, कुदरतने खुद उखाड़ फेंके।

ईश्वर भी कितना मेहरबान है मुझ पर
तेरी याद मिटाता चला जा रहा है।

कुछ कोई एक दो जगह बचे होंगे,
जानें का वहां अब मन नहीं करता।

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30 JUN AT 22:13

तुम तो उसकी हो चली,
मुझे उसका बनना बाकी है

तुम आगे बढ़ चली
मुझे बढ़ना बाकी है

तुमने हाथ उसका थाम लिया
थमा सा मै, मुझे अब थामना बाकी है

तुमने खुद को सिद्ध कर लिया
मुझे अब सिद्ध होना बाकी है

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30 JUN AT 21:45

क्या फ़ायदा तुम्हारे व्रतों से मिली इस लंबी उम्र का
जिसमें पिछली जिंदगी जीने का ज़िक्र, तुम्हारे संग न हो।

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30 JUN AT 11:40

मृत्यु भी शायद मुझे से है रूठी हुई
कुछ ही बार मरता मरता भी बचा हूं।

बड़ा अकस्मात कभी हुआ नहीं,
छोटे छोटे कई दफ़ा हुए, गाड़ी ने सह लिए सारे दर्द, चोट
मुझे जीवित छोड़ कर।

यहां तक कि छोटी सी बीमारीने
जीवनसंगिनी को मुझसे पूरा छीन लिया।

मैं यहां रह गया फिर से जीवित,
उस की यादों के यातायात में निष्ठा से दौड़ता हुआ,
रोज़ भीगता हुआ और भुगतता हुआ भी शायद।

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29 JUN AT 12:31

આ વખતે ચોમાસું, અમારે જરા વહેલું બેઠું
કાળી ડીબાંગ વાદળીઓ નૈનોથી વરસ્યા જ કરે,
ને થોડું અંધાર પણ રેલાવી રહી છે.

કાંઈ નઇ, આ જ ચોમાસે સપ્તરંગી ઇન્દ્રધનુષ પણ ભળાશે
કોઈ એક શ્વેત કિરણનો સ્પર્શ થતા.

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29 JUN AT 11:42

આ કાળી વાદળીઓને કહોને કે આ ચોમાસે જરા ઓછું વરસે

એક આ આંખો તો સુકાતી નથી,
ને ઉપરથી અંધાર થોડોક હજુ વધારી જાય છે.

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25 JUN AT 7:58

વાત તો ૧૬ આના સાચી કે મા તે મા 
પણ શાને રહી જાઉં હું વગડાના વા?

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18 JUN AT 10:01

પાસે રહીને પણ, દૂર થઈ જવાના આ યુગમાં
તમે દૂર તો થયા, પણ અલગ ન જ થઈ શક્યા

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