मोह की आग मे प्रेम जलकर खाक हो गया,और भ्रम के रिश्तों मे खुद का वजूद ही राख हो गया। -
मोह की आग मे प्रेम जलकर खाक हो गया,और भ्रम के रिश्तों मे खुद का वजूद ही राख हो गया।
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जो अपना लहजा नही संभाल सकते,वो किसी का दिल क्या संभालेंगे -
जो अपना लहजा नही संभाल सकते,वो किसी का दिल क्या संभालेंगे
अभी तो शुरुवात है।बाकी अभी पूरी रात है।और अभी तो लिखा जख्म है।कत्ल पर तो पूरी किताब है । -
अभी तो शुरुवात है।बाकी अभी पूरी रात है।और अभी तो लिखा जख्म है।कत्ल पर तो पूरी किताब है ।
यू कभी दरिया होना भी अच्छा लगता थाअब एक बूंद भी होना नागवार है। -
यू कभी दरिया होना भी अच्छा लगता थाअब एक बूंद भी होना नागवार है।
ज़ख्म इतना बड़ा भी नहीं होनी चाहिए...कि वक्त उसे भर ना सके... -
ज़ख्म इतना बड़ा भी नहीं होनी चाहिए...कि वक्त उसे भर ना सके...
यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्क्षति। शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्यः स मे प्रियः॥ -
यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्क्षति। शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्यः स मे प्रियः॥
मुश्किल है अब हमें पढ़ना...हमने भी चेहरे बदलना सीख लिया है... -
मुश्किल है अब हमें पढ़ना...हमने भी चेहरे बदलना सीख लिया है...
कुछ रास्ते मंज़िल की तरफ नहीं जाते पर सबसे खूबसूरत रास्ते वही होते है -
कुछ रास्ते मंज़िल की तरफ नहीं जाते पर सबसे खूबसूरत रास्ते वही होते है
दर्द कर रहा है पैरवी दर्द की,इजाज़त नहीं है अब जाने की,और कब तक डूबे रहोगे शोक में ,अब नहीं है उसकी मर्जी वापस आने की। -
दर्द कर रहा है पैरवी दर्द की,इजाज़त नहीं है अब जाने की,और कब तक डूबे रहोगे शोक में ,अब नहीं है उसकी मर्जी वापस आने की।
की तुम लौट आओ उन अंधेरों से वापस,हाथ तुम्हारा खींच लेंगे हम।या तो तुम उजालों के हो जाओगे,या अंधेरों के हो जाएंगे हम। -
की तुम लौट आओ उन अंधेरों से वापस,हाथ तुम्हारा खींच लेंगे हम।या तो तुम उजालों के हो जाओगे,या अंधेरों के हो जाएंगे हम।