ChitRanshu Rawat   (Mr. ChitRanshu)
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* वक्त *
Joined 5 May 2021


* वक्त *
Joined 5 May 2021
7 JAN 2022 AT 20:59

दोबारा कभी मुझसे मिलने का मौका मिले तो उस मौके को खो देना,
"क्योंकि मैं बार बार टूट कर सम्भल नहीं सकता"...

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6 JAN 2022 AT 19:44

पता है यार,

"मैं वक्त माँगता रहा गया उससे,
उसने मेरा वक्त छीन लिया मुझसे" ..।

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5 JAN 2022 AT 23:34

पता है,
मैं हर बार अकेला क्यूँ रह जाता हूँ,

"क्यूंकि झूठ मैं बोलता नहीं और
सच मैं छुपाता नहीं"।

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