जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहीं !प्रेम गली अति सांकरी जामें दो न समाहीं !!कबीर दास - -
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहीं !प्रेम गली अति सांकरी जामें दो न समाहीं !!कबीर दास -
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