कुछ दरवाजे जो काफी अरसे से बंद पड़े हों, तो देख लेना गर लग गई हो उनमें जंग, तो खोल देना आहिस्ते से अब उनको ... कुछ अटकेगा शायद कुछ पलों तक, पर तुम रुकना नहीं इस बार और खोल देना पूरी तरह उस दरवाजे को और बाहर निकल जाने देना अधूरे उदास से पुराने वो ख्वाब जो वक्त के साथ काफी धुंधले पड़ चुके हैं और महज़ यादों की हल्की सी बेजान जंजीर से जकड़े हुए हैं तुमको आज भी! जब जाएंगे दरवाजे से निकल के थोड़ी दूर, तो शायद बह निकले कुछ आंसू तुम्हारे नयनों से, पर तुम भावुक होकर इस दफा बहना नहीं! थाम लेना दिल में उठते उस तूफान को और आस रखना इस दिल में कि अगले किसी मौसम में मिल ही जाएगा तुमको तुम्हारे हिस्से का वसंत भी और सावन भी!
छवि (Solitary Hut)
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