Agyat Agyani   (Agyat Agyani)
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Spirituality , philosophy
Joined 12 September 2025


Spirituality , philosophy
Joined 12 September 2025
4 HOURS AGO

सच्चा उपाय कोई मंत्र, कोई वस्तु, कोई तकनीक नहीं।
सबसे बड़ा उपाय मौन है।
मौन में समझो कि एक नया जन्म हुआ है —
पुराने बोझ, पुराने नाटक वहीं गिर जाते हैं।

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16 HOURS AGO

गीता में कृष्ण बार-बार समझाते हैं कि कर्म, योग, भक्ति सब साधन हैं; पर अंतिम शरण केवल आत्मा में है। उपाय केवल साधन हैं, सत्य नहीं।

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18 SEP AT 3:34

यदि सेक्स स्त्री का गहन बोध हो,
और पूरी समग्रता से उसमें उतरा जाए,
तो स्थूल रूप से ही केंद्र तक पहुँचा जा सकता है।
इसी को ओशो कहते हैं—“संभोग से समाधि की ओर।”
https://atamagyam.blogspot.com

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16 SEP AT 23:02

👅 हास्यमेव जयते 👅

नसरुद्दीन ने नाड़ी देखी, बीमारी नहीं मिली—
पलंग के नीचे पादरी मिला।
बीमारी का नाम रखा: “अत्यधिक धार्मिकता।”

औरत मान गई, बोली—“क्षमा करें, अब यह गलती न होगी।”
सच यही है:
जो धर्म छुपाकर जीना पड़े,
वह इलाज नहीं—खुद बीमारी है।
✧ ओशो ✧

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16 SEP AT 21:27


गुरु तो केवल माध्यम, शिष्य से होता काम।
एकलव्य की साधना, द्रोण रहे बदनाम।।


गुरु बनना सब चाहें, शिष्य न कोई बने।
जो शिष्य रहे सच्चा, सत्य वहीं पर तने।।


शास्त्र मुखौटा ओढ़ कर, गुरुवार सब खेल।
शिष्यपना ही अद्भुत है, यही है असली मेल

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16 SEP AT 18:36

भोग-त्याग दो छल बने, मन रचे व्यापार।
जीवन जीकर बोध लो, यही सच्चा सार।।


श्रद्धा-विश्वास खेल हैं, नियम जाल के जाल।
सत्य वही जो शून्य में, भीतर मिले तत्काल।।


देह मिटे मन मिटे, रहे न कोई भार।
सूक्ष्म बिंदु जो शेष है, वही सत्य आधार।।

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16 SEP AT 11:15

गुरु को छोड़े बिना,
कोई भी सच्ची यात्रा शुरू नहीं होती।
गुरु की बातें अद्भुत लग सकती हैं,
परंतु अद्भुत का स्वप्न ही अद्भुत है —
हकीकत का द्वार गुरु नहीं,
स्वयं का मिटना खोलता है।

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15 SEP AT 9:46

"ईश्वर बाहर नहीं — भीतर की चेतना है।
पंचतत्व शरीर उसका साधन है, आत्मा उसका मूल।
जीवन वही है जहाँ बुद्धि और चेतना का संतुलन जागे।
जीवन ही ईश्वर है — और यही विज्ञान, धर्म और आत्मा का संगम है।"

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14 SEP AT 21:33

✧ जीवन का संतुलन — विज्ञान, धर्म और आत्मा का संगम ✧
📖 यह ग्रंथ किसी धर्म की पुनरावृत्ति नहीं, न ही विज्ञान का विरोध।
यह मनुष्य के भीतर से निकला हुआ सत्य है —
जहाँ विज्ञान की खोज, शास्त्र की दृष्टि, और अनुभव का मौन एक साथ मिलते हैं।

🌱 अध्याय झलक:

✨ जीवन को पाने नहीं, जीने का आमंत्रण।

🔗 पूरा ग्रंथ (फ्री में पढ़ें):
https://atamagyam.blogspot.com

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14 SEP AT 19:46

✧ सूक्ति ✧
पाने की दौड़ में मनुष्य थकता,
जीवन जीने में सत्य चमकता।
पहाड़ कठोर अहंकार का रूप,
नदी समर्पण का अनंत स्वरूप।
विज्ञान साधन दे, धर्म दिशा,
दोनों मिलें तो जागे चेतना।
यही संतुलन है जीवन का सार।
✧ दोहा ✧
पाने दौड़े जगत सब, जीना कोई न जान ।
नदी बने जो जीवन में, मिले सागर भगवान ॥
Agyat agyani

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