Bhanu Prakash  
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Joined 23 July 2017


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Joined 23 July 2017
23 JAN 2022 AT 21:27

क्या कहूं
सफर कैसा है

बस इतना ही देखा अभी तक !!

जो अपने थे वो अजनबी हो गए ।।

थे जो अनजान वो हमराही बन गए ।।

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26 APR 2021 AT 23:28

यूं जो वक्त बे वक्त
खफा हो जाते हो

सच की नाराजगी होती है
या बस मुझे सताते हो।।


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22 APR 2021 AT 12:38

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10 JAN 2021 AT 23:38

तमाशे सी ये ज़िन्दगी में
रोज़ बदलते हैं किरदार अपने ।।
मेहनत के मुखौटे के पीछे
नम आंखों में बसते है सपने ।।

उम्मीदों का बोझ लिए
शहर शहर भटकते है ।
नुक्कड़ मुहल्ले डगर डगर
तन्हा सफ़र करते है ।।
जो अभिनय करते हैं हम
देख खुश रहते अपने ।।

तमाशे सी ये ज़िन्दगी में
रोज़ बदलते हैं किरदार अपने ।।

तरीफो के शब्द मिलते है
जब नाटक अच्छी होती है ।।
जो सच दिख जाए तो
तानो से स्वागत होती है ।।
खुद की झूठी कहानियां लिखते
अगली सुबह सब लगते है भूलने ।।

तमाशे सी ये ज़िन्दगी में
रोज़ बदलते हैं किरदार अपने ।।

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24 OCT 2020 AT 22:13

।।।यादें ।।।।

यादें चीज़ वो नहीं..
जिसे कीमतों से तोल लिया जाए
यादें तो वो प्यार हैं
जो दिल को छू जाए ।।।

यादें तो एक वादा भी है
जो दो रिश्तों में दूरी ना लाए

यादें तो वो कहानी भी हैं
जिसमे सारे इश्क़ के पल भर जाए

यादें तो वो धड़कन भी हैं
जो साथ धड़कते जाए

यादें तो सुकून भी हैं
जो तेरे बाहों में ही मिल पाए

यादें तो वो एक ज़िन्दगी हैं
जिसमे मेरे साथ बस तेरा नाम आए

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27 SEP 2020 AT 2:32




मुसाफ़िर सी ज़िन्दगी में
रास्ते का आराम तो बनो ।।

सुनसान अंधेरी रातों में
जुगनू से भरा आसमान तो बनो ।।

उलझी सी पहेली हो तुम
शायरी सा आसान तो बनो ।।

नाम से जोड़ लेंगे नाम तेरा
पहले मेरी कहानी का पूर्ण विराम तो बनो ।।

©रात_की_एक_बात_मेरे_साथ






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13 SEP 2020 AT 1:13

मैं बैरागी...
भटकता दर- बदर

कहीं बिताई एक रात
तो कहीं पहर दो पहर

माना बाशिंदों का
बसेरा होता कोई एक
मेरा पता तो शहर - शहर ।।।

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11 SEP 2020 AT 1:38

मैं वहीं था
जहां छोड़ गए थे तुम ।।

तुम आए भी लौट कर
पर अकेले नहीं ।।।।

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10 SEP 2020 AT 18:28

हमराही थे
बीच रास्ते तुम
क्यों बिछड़े ??

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10 SEP 2020 AT 1:12

रोशनी से नफ़रत नहीं मुझे

पर सुकून बस अब.

अंधेरे में मिलता है ।।



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