ज़मीन पर गिर पड़ने
और गायब हो जाने से पहले
जिस थोड़ी सी उम्मीद से
पत्तों पर ठहरती है ओस की बूंद
ठीक उतनी ही उम्मीद
काफ़ी है
जीवित रखने के लिए
हमारे तुम्हारे बीच इस प्रेम को!
~ उन्मुक्त-
सर की क़ीमत मुझे मालूम है मेरे, लेकिन
सर नहीं चाहिये दस्तार बचानी है मुझे
~ Zohaib Baig-
अभी कोई हमें याद नहीं आ रहा
अभी कोई मुसीबत में नहीं हैं हम
~ Kumaril Shastri-
हर पुर्जे़ को काम में लाया जा सकता है
कश्ती को पतवार बनाया जा सकता है
वैसे हर इक बात बताई जा सकती है
वैसे हर इक राज़ छुपाया जा सकता है
एक गरीब नें ताज-महल को देख कहा
इतने में तो शहर बसाया जा सकता है
इश्क़ करो आबाद करो इस दुनिया को तुम
पैसा-वैसा और कमाया जा सकता है
बच के रहियो हसरत से उस क़ातिल की
बुझता दीपक और बुझाया जा सकता है
तुम जिस डाली से फूल समेटे लाती हो
उस डाली पर चाॅंद झुकाया जा सकता है
~ Ek Ajnabi Khayal-
उस छोटे से पहाड़ी रेल्वे स्टेशन पर
अकेले प्लेटफॉर्म पर लगी घड़ी याद है तुम्हें?
12 घण्टे पहले बन्द हुई घड़ी सही समय बता रही थी!
ये विदा का वक़्त था।
अलविदा के चुम्बन की अवधि कितनी हो
संक्षिप्त या सुदीर्घ ?
और फिर, हम चूमते रहे, बंद घड़ी के पास खड़े होकर!
चुम्बनों का इतिहास जब लिखा जाएगा
हमारे इस चुम्बन की अवधि
क्या अनंत लिखी जा सकेगी ?
~ दुष्यंत-