27 SEP 2021 AT 3:52

"ॐ"
मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे|
जैसे उडि जहाज कौ पंक्षी पुनि जहाज पै आवै||
कमलनयन को छांडि महातम और देव को ध्यावै|
परमगंग को छांडि पियासो दुर्मति कूप खनावै||
जिन मधुकर अंबुज-रस चाख्यौ,क्यों करील-फल खावे|
सूरदास,प्रभू कामधेनु तजि छेरी कौन दुहावै||

- Babulal Babulal