बेचारी नींद को,
अजीब सी कश्मकश से जूझते हैं ख्याल मेरे,
मन की लपटों से गरमाती है कल की चादर,
परसों की चिंगारियां सुलगती मन में आज मेरे,
छोड़ दो तुम भी, जो बीत गया, मन पर भार करे,
कितने सपने हैं, जो भूल गया, कैसे अब याद करें,
आने वाले भी, सब अनजान,कैसे मन की बात करें,
वो नहीं आया, जिसको आना था, बिन फरियाद करे,
उसकी बातें, लपटों की चटपट सी, कोयले याद करें,
मैं बन जाऊं धुआं, जो उसकी खांसी की बजाह बने,
सब भस्म कर, नई शुरुआत करने का मन आज करे,
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