तख़्त पर जो तख़्तनशी है फिऱौन
उसको डूबाने के लिए उठ
जम़ाने में अभी जिंदा है मूसा
यह बताने के लिए उठ
ये बंदूक ये लाठीयाँ ये यह सब खिलौनें है
ये जग़-ए-बद़र है तो इसे जंग-ए-कर्बला बताने के लिए उठ
ख़िश्त-बा-ख़िश्त जो मुल्क़ बनाया है हमने
है इख़्तियार इस पर हमारा भी यह बताने
के लिए उठ
हां हवाओं में शोर-ऐ-इंक़लाब है अभी
हां मुल्क़ में रिफ़ाक़त-ए-मुहब्बत है अभी
यह बताने के लिए उठ
मेरी पेंशानी ने जो चुमी है जमीं
इसी जमीं में ख़ाक-ए-बदन हो जायेंगे हम
यह बताने के लिए उठ
चिंगारी जला दिल-ए-दीवार पर अपने ईमान की तू मुसलमाँ है तो जम़ाने को मुसलमाँ
बताने के लिए उठ
✍azkjhs
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