सुना है कि तुम ठीक नहीं हो
शायद खुद से कहीं भाग रही हो
चलो
मैं तुम्हारा थोड़ा ख्याल रखता हूँ
तुम्हें तुमसे ही थोड़ा सुकून दिलाता हूँ
वो तुम्हारी कलाई में बंधी घड़ी से थोड़ा वक्त चुरा लूँ
वो तुम्हारी आँखों मे कुछ सपनों को थोड़ी सी पनाह दूँ
वो तुम्हारी झुलफों को थोड़ा और उलझा दूँ
बेवजह-सी, वो बेफिजुली बातें बता दूँ
तेरी खिलखिलाती हंसी के सारे राज चुरा लूँ
तेरी थिरकती पायल को नई सुर-ताल सुना दूं
तेरी शाम की चाय के लिए, मैं झूमता सावन ले आऊँ
तेरी खिड़की से झाँकते चाँद को अपना यार बना लूँ
तेरी हर उलझी-सी उलझन को सुलझा दूं
सुनो,
सुना है कि तुम ठीक नहीं हो
शायद खुद से कहीं भाग रही हो
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