के वो बेड़ियाँ बन जाएं
ना चाहकर भी तुम्हें
खुद को तोड़ना पड़ जाए
एक हद होती है
एक इम्तेहा होती है
मत झुको इस क़दर के
खुद को भी खोना पड़ जाए..-
Awasthi Shubham
(शुभम्)
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ॐ असतो मा सद्गमय ।
तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
मृत्योर्मा अमृतं गमय ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ read more
तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
मृत्योर्मा अमृतं गमय ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ read more
Joined 28 December 2018
25 APR 2022 AT 17:34
22 APR 2022 AT 20:12
हर तरफ़ ठोकरें थीं
मैं जब जहां जिधर जाता
सामने बस मैकदा था
मैं भला किधर जाता...-
22 APR 2022 AT 17:58
तुम जो हो वही तुम्हें, हूबहू दिखाऊंगा
कोशिशे जितनी भी करो बचने की
मैं हरबार तुम्हें हक़ीक़त से रुबरु कराऊंगा...-
21 APR 2022 AT 16:55
हर लम्हा मुस्कुराते जाइए..
कल की फ़िक्र भी करिए
और आज को भी जीते जाइए-
12 APR 2022 AT 21:40
मुझमें गुरूर क्या होगा, मैं तो बस बची हुई राख हूं
उम्मीद मत रखना कोई, मैं तो पहले से ही ख़ाक हूं..-
6 APR 2022 AT 13:44
जो दिल मे है ही नहीं वो इजहार करे तो कैसे
हम किसी को बिना चाहे प्यार करें तो कैसे
जब वक़्त ही ना दे इजाज़त मौसिकी की
तो आवाज में फनकार भरें तो कैसे..
तुम्हारी वफा में कोई कमी बेशक नहीं
मगर उस पर मेरे दिल का कोई हक़ नहीं
इस दिल के फैसले को खुद से इंकार करे तो कैसे..
हम किसी को बिना चाहे..
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4 APR 2022 AT 22:25
और उस दर्द की दवा देदो
मेरी बेचैन साँसों की गर्मी को
कोई सुकूं से भरी हवा देदो...
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