Ashwini Kumar   (Ashwini Kumar Sinha)
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Joined 1 April 2017


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Joined 1 April 2017
1 JAN 2022 AT 14:56

जितना गिरा उतना उतना उठाया
ये बीते साल शुक्रिया तेरा।

कुछ अपनों को छीन लिया
कुछ दूसरों के लिए जीना सिखाया
ये बीते साल शुक्रिया तेरा।

कुछ खोया कुछ पाया
अच्छे और गलत का अंतर बताया
ये बीते साल शुक्रिया तेरा।

कभी हंसाया कभी रुलाया
उसके बाद तुम्हें चलना सिखाया
ये बीते साल शुक्रिया तेरा।

कुछ बना कुछ टूट गया
टूटे हुए को जोड़ना सिखाया
बने को और बेहतर करना सिखाया
ये बीते साल शुक्रिया तेरा।
©️Ashwini Kumar Sinha

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17 NOV 2021 AT 0:15

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31 OCT 2021 AT 0:50

मैं खुद के नाम से परे खुद को खो देना चाहता हूं ,इन हवाओं में,
और घुल जाना चाहता हूं इनमे सौंधी सी खुशबू बन कर।

मैं किसी रोज रफ्ता रफ्ता ढाल जाना चाहता हूं शाम की तरह
और निकलना चाहता हूं रात को चांद की तरह।

मैं किसी रोज बारिश की बूंद बन कर गिरना चाहता हूं,
और मिल जाना चाहता बहती नदियों में।

मैं चाहता हूं उगना सूरज के साथ,
और सुनहरी किरण बन कर मिलना चाहता हूं फूलों से।

मैं किसी रोज मिट्टी बनकर महसूस करना चाहता हूं,
बारिश की बूंदों को और सोख लेना चाहता हूं इनको पूरा खुद में।

मैं उरना चाहता हूं पंछी बंकर खुले आसमान में,
और छू लेना चाहता हूं छितिज को।

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9 AUG 2021 AT 0:19

कलम ,स्याही ,कागज और तुम
हां यह जरिया है तुमसे मिलने का,
लिखता हूं तुम्हें अपनी जिंदगी में हर रोज थोड़ा थोड़ा
और मिलता हूं तुमसे नज्मों में गजलों में में हर रोज थोड़ा थोड़ा।

कैनवास, पैलेट, रंग और तुम,
हां ये जरिया हैं तुम तक जाने का,
इनसे रंगता हूं तुम्हें अपनी जिंदगी में हर रोज थोड़ा थोड़ा,
और मिलता हूं तुम्हारी यादों से हर रोज थोड़ा थोड़ा।

मेरी बांसुरी संगीत गजलें और तुम,
हां यह जरिया है तुम्हारे सुर्ख लाल होठों से होकर गुजरने का,
हर रोज गुनगुनाता हूं तुम अपनी जिंदगी में थोड़ा थोड़ा,
हां शामिल करता हूं तुम्हें अपनी जिंदगी में हर रोज थोड़ा थोड़ा।
©️ Ashwini Kumar Sinha

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17 JUN 2021 AT 1:13

I live in my poetries art, science , nature emotions colours of life.
I live in charter of brook,
In chirping of birds,
In sweet breeze ,
and flying bees.

My life exsist in
rising sun,
joys and fun,
In dew drop,
In thriving crop.

I live in fragrance of flower
and beautiful meteor shower,
I live in mud and caly,
and the natures play.

I live in rising ray,
and charming day,
I live in emotions
Joys ,pain and grief
and in coral reef.

I am beyond the boundaries of life and my materialistic
body and I will never die and always be there in form of smiles on face, emotions in heart,In sound of birds, fall of brooks, In cycles of nature.
©️ Ashwini Kumar Sinha

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16 MAY 2021 AT 23:21

यूं ही नहीं शायद सूरज का पर्दा और बेपर्दा होना,
राहों में पत्थर का होना,
और फिर उस पर मखमली घास का उगना।

यूं ही नहीं शायद अंधेरे का होना
बाद उसके फिर सूरज का उगना।

यूं ही नहीं शायद मौसम का बदलना,
साख से पत्तों का गिरना ,
फिर जाकर कलियों का खिलना।

यूं ही नहीं शायद धरती का धूप में तपना,
फिर जाकर बारिश की बूंदों का गिरना।
लहरों का साहिल से टकराना,
साथ अपने मुक्ता (मुक्ता : मोती) का लाना।

यूं ही नहीं शायद आसमा का यूं लाल होना,
बाद उसके फिर चांद का बेपर्दा होना।

यूं ही नहीं प्रकृति का रंग बदलता रहना,
वक्त का यूं चलता रहना।
©️ASHWINI KUMAR SINHA

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11 MAR 2021 AT 23:57

कवि की नज़्म का आरंभ हो तुम,
और उसकी कलम की स्याही का आखरी बूंद भी।

तुम ख़्वाब हो एक शायर का,
और उसके हृदय में छुपा संगीत भी।

एक की मृग तृष्णा हो,
और उसके अल्फाजों में छुपा प्रेम भी।

तुम किसी की प्यासी कलम की ख्वाहिश हो,
और उसके अल्फाजों में छुपा प्रेम भी।

तुम अधूरी न की तलाश हो,
और एक खूबसूरत सा एहसास हो ।

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20 FEB 2021 AT 3:04

तुम्हें लिखना अजीब शौक है हमारा,
और ये शौक कुछ तुम्हारी मोहब्बत सा है।

एक ख्वाइश है मिलने की तुमसे,
तुम्हे लिखना तुमसे मिलने सा है।

कई राज है तुम्हारी आंखों में,
और इन्हे लिखना तुम्हे हर्फ-द-हर्फ पढ़ने सा है।

तुम्हें लिखना अजीब शौक है हमारा,
और ये शौक कुछ तुम्हारी मोहब्बत सा है।

तुम्हारी खामोशी सैलाब है सवालों का,
ओर इन्हे लिखना खुद को तड़पाने सा है।

मेरा तड़पना पसंद है उस चांद को भी।

हाल बताऊं क्या चांद का मैं ,
तुम्हे लिखना उसे जलाने सा है।

तुम्हें लिखना अजीब शौक है हमारा,
और ये शौक कुछ तुम्हारी मोहब्बत सा है।

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15 FEB 2021 AT 2:10

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4 FEB 2021 AT 2:11

तुम्हारी मोहब्बत में जीना सीख रहा हूं,
कभी अल्फाजों में,कभी रंगों में,
तुम्हें उतारना सीख रहा हूं।

हां तुम्हारी मोहब्बत में मै जीना सीख रहा हूं,
कभी हंसना, कबी रोना,
और मुस्कुराना सीख रहा हूं।

कभी तुम्हारी खामोशी को पढ़ना ,
कभी तुम्हे लिखना और गुनगुनाना सीख रहा हूं,
हां तुम्हारी मोहब्बत जीने का तरीका सीख रहा हूं।
©️Ashwini Kumar sinha

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