Pen of Heart   (© Bhavarth)
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Joined 16 August 2018


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Joined 16 August 2018
10 NOV 2024 AT 14:39

मेरी दिल्लगी से इतनी रंजिश मतकर ए ज़िंदगी,
मैं खुश हूं, पर अब भी तेरी कैद में हूं।

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1 FEB 2021 AT 0:15

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27 JAN 2021 AT 19:47

गर फ़ुरसत मिले तो कभी आ के मिलो,
वीरान हो गया है ये शहर अब ठहरे हुए.

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15 JAN 2021 AT 20:21

कोई ये ना पूछो क्या मिला है इश्क में,
वो ना सही पर जीने की वजह तो मिली.

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19 DEC 2020 AT 12:24

ख़ुद ही ख़ुद से अनजाना हो गया हूं,
मैं अपने शहर में बेगाना हो गया हूँ,
चर्चे बड़े मेरे थे गलियों में शाम-ओ-शहर,
बिन वजूद भूला हुआ अफ़साना हो गया हूं,
बुझ गया है बस्ती का, आख़िरी शमा,
तारीकी में भटकता परवाना हो गया हूं,
है मुद्दतों बाद मेरे दरवाज़े पर कोई,
दस्तक की आस में दीवाना हो गया हूं,

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16 NOV 2020 AT 14:37

फ़ुरसत नहीं है तुझे इतनी एक अपने रूठे को मनाने से,
हमने अभी भी उम्मीदें सजा रखी हैं किसी ना किसी बहाने से!

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18 OCT 2020 AT 19:32

हर कोशिशें नाकाम तदबीर कैसी है,
जो तुझसे है ज़ुदा तक़दीर कैसी है ,
हो ही गए नाकाम राह-ए-इश्क़ में,
बर्बाद होने में अब ये देर कैसी है I

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6 OCT 2020 AT 20:32

रोशनी को दिए सी तू ख़ुद ही जल रही है
ऐ जिंदगी आखिर तू किसको छल रही है

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26 JUL 2020 AT 22:37

Moon without light.

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19 JUL 2020 AT 10:38

Essence



Faith

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