जब जब तुम अपनी नज़र घूमा ओगे,
खुदा क़सम मुझे तुम बिलकुल वैसा ही पा ओगे,
बदल जाना मेरी फ़ितरत में नहीं, और इस बात का मुझे घमण्ड नहीं!
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Ashutosh Martolia
(!!बैरागी लेखक!!)
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Joined 2 February 2018
16 MAR 2018 AT 13:12
21 NOV 2021 AT 2:29
डर ता हु जज़्बातो को बयां करने में,
क्यों की अक्सर किस्मत दगा दे देती है!!-
21 SEP 2021 AT 23:51
मत पूछा कर मुझसे मेरी खैरियत,
अब तुझसे झूठ बोलना अच्छा नहीं लगता!!-
29 AUG 2021 AT 17:04
डर लगता है अब उनसे अपने जज़्बात बया करने में,
इंकार करने का हक़ तो उनको भी है
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5 AUG 2021 AT 22:51
बस एक आईना ही है जो मुझे खुद से मिला देता है,
वरना में अपने आप को कब का खो चुका था!!!
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25 JUL 2021 AT 18:35
अंधेरे से अब दोस्ती सी हो गई,
देखा है लोगो को रोशनी में लुटते हुए!!-
19 JUL 2021 AT 22:45
यादो में जीने की इतनी आदत भी ना डाल,
की सारा जीवन बस यादो में सिमट जाए!!-