Ashutosh Martolia   (!!बैरागी लेखक!!)
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Joined 2 February 2018


Joined 2 February 2018
16 MAR 2018 AT 13:12

जब जब तुम अपनी नज़र घूमा ओगे,

खुदा क़सम मुझे तुम बिलकुल वैसा ही पा ओगे,

बदल जाना मेरी फ़ितरत में नहीं, और इस बात का मुझे घमण्ड नहीं!

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7 JAN 2022 AT 14:59

प्रेम में दर्शन जरुरी या प्रदर्शन

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29 DEC 2021 AT 21:44

थक गया हु हर कोशिस करके,

बस कर अब और लड़ने ना दम ना रहा!!

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29 DEC 2021 AT 0:20

अब किसी से कोई गिला नहीं,

अकेले हसना जो सीख लिया है!!

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21 NOV 2021 AT 2:29

डर ता हु जज़्बातो को बयां करने में,

क्यों की अक्सर किस्मत दगा दे देती है!!

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21 SEP 2021 AT 23:51

मत पूछा कर मुझसे मेरी खैरियत,

अब तुझसे झूठ बोलना अच्छा नहीं लगता!!

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29 AUG 2021 AT 17:04

डर लगता है अब उनसे अपने जज़्बात बया करने में,

इंकार करने का हक़ तो उनको भी है


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5 AUG 2021 AT 22:51

बस एक आईना ही है जो मुझे खुद से मिला देता है,
वरना में अपने आप को कब का खो चुका था!!!

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25 JUL 2021 AT 18:35

अंधेरे से अब दोस्ती सी हो गई,
देखा है लोगो को रोशनी में लुटते हुए!!

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19 JUL 2021 AT 22:45

यादो में जीने की इतनी आदत भी ना डाल,
की सारा जीवन बस यादो में सिमट जाए!!

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