26 JUL 2018 AT 23:25

अरी बहना अँखियाँ हैं प्यासी प्यासी,
मनवा में पूरनमासी
अब तक न आयो मेरो साजना,
अो देखो श्याम घटा घिर आई
बिजली ये मोपे काहे गिराई,
हिचकी रह रह के आई,
अब तक ना आयो मेरो साजना...
सावन की रूत में बिछड़ों सावंरिया
दे गयो ऐसो मेहा,
बूंदन की धुन गाये रहो मल्हार हमार नैहा
कुहू कुहू मत बोले कोयलिया
सुन सुन झुलसे देहा
बहना नीचे सिगराो घर आंगन
भीजे मन का वृन्दावन
अब तक न आयो मेरो साजना...

- ashoonly