ना कोई चिट्ठी ना कोई तार रहा। अब ना वो पहले वाला प्यार रहा।। बंद हो चुकी दुकान पनवाड़ी की। अब ना नुक्कड़ पर इंतजार रहा।। वीडियो कॉल से होती है बाते तो। अब ना खिड़कियों पर दीदार रहा।। मशहूर होता था पूरे कस्बे में जो। अब ना वो आशिक़ किरदार रहा।। एक पूरे चांद तक रहता है रिश्ता अब। अब ना कोई जन्मों का जिम्मेदार रहा।।