कल चौदहवीं की रात थी
शब भर रहा चर्चा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी
कुछ ने कहा ये चाँद है
कुछ ने कहा, चेहरा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी
हम भी वहीँ, मौजूद थे
हम से भी सब पुछा किए
हम भी वहीँ.....मौजूद थे
हम से भी सब पुछा किए...
हम हँस दिए, हम चुप रहे
हम हँस दिए, हम चुप रहे...
मंज़ूर था परदा तेरा...........
कल चौदहवीं की रात थी...
Lyrics By: इब्न-ए-इन्शा
Performed By: जगजीत सिंह- tales|ashish_pal
8 JAN 2018 AT 13:45