न्याय मांगता जब "बेबस" पर न्याय नहीं मिल पाता है
"पूंजी वादियों" के जूतों से जब बेबस कुचला जाता है
जब न्याय व्यवस्था पर गहरा अंधकार हो जाता है
तब जाकर "चंबल का बेटा" खुद से "बागी" हो जाता है-
स्वदेशी जीवनशैली हो स्वदेशी ही भोजन हो।
स्वदेशी ही वस्त्र चुने हम स्वदेशी सारा प्रयोजन हो।।
अन्य सभी चीजो को छोड़े स्वदेशी अपनाए हम।
वक्त अा गया "मात्रभूमि" का बढ़कर कर्ज चुकाए हम।।
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दोस्त अगर
"कृष्ण" और "कर्ण"
जैसे हो
तो फर्क नहीं पड़ता
कि सामने कोन है?-
हर लेता था प्राण "समर" में वो , जैसे काल स्वयं मतवाला था
घुसता था "रिपु" के सीने में जब "महाराणा प्रताप" का भाला था-
"मां बाप" की यादें जिन्हे घर ना बुला सकी
मरने का डर उन्हें "गांव" खीच लाया है-
हाथो में मोबाइल नहीं
रामायण भगवत गीता हो
और दर्पण में प्रतिबिंब तुम्हरा
बिल्कुल सीता जैसा हो ।
यदि तर्क हो कुछ बात में
तो बात मेरी मान लो
"फोन" को तुम फेंककर
बस "किताबे" थाम लो।
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राशन लेने को लाइन में खड़े होने से
जिन्हे दिक्कतें हज़ार थी।
"शराब" खरीदने के लिए उन्होंने
पूरी "दोपहरी" गुजार दी।।-
एक तरफ "नारायणी" सेना एक तरफ थे "कृष्ण"।
दुर्योधन ने "सेना" चुनी और अर्जुन ने "श्री कृष्ण"।।-
"पितृभक्ति" देखनी है तो राम जी की देखिए।
"पतिव्रता" व्रत आपको सीता जी सिखाएगी।।
"प्रभु भक्ति" देखनी हो तो हनुमान जी की देखिए।
मेघनाथ की भक्ति आपको "देशभक्ति" सिखाएगी।।
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