Arun Vyas   (अV)
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Joined 3 July 2017


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Joined 3 July 2017
21 SEP 2023 AT 10:31

मुँह जबानी न जताता की मोहब्बत क्या है,
मैं तुझे करके दिखाता की मोहब्बत क्या है.

कैसे सीने से लगाऊं, 'की किसी और के हो' ,
मेरे होते "तो बताता" की मोहब्बत क्या है

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22 SEP 2022 AT 10:44

तू है, मैं हूँ
और है ये ख़ामोशी
मेरी बात तुझ तलक
कैसे ना पहुँची

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2 MAY 2021 AT 21:55

इतने याराने अब सफ़रों से हो गए हैं
कि रास्ते के पत्थर भी घरों से हो गए हैं

जिन्हें दूर हर इक हर्फ़ से करना था हमें
वो बस दूर हमारी नज़रों से हो गए हैं

जरूरत पड़ने पे मिल ही जाते हैं हमसे
हमारे यार भी अब अधरों से हो गए हैं

अरुण व्यास

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1 MAY 2021 AT 1:04

तेरी आँखे इक सवाल है,
मेरे खामोश लब जवाब हैं

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1 MAY 2021 AT 0:58

मुश्किलें बहुत बड़ी हैं
बड़ा अंधेरा हैं दिन के उजालों में भी
साँसों पर थम जाने का दबाव है
आँखों को सूख जाने के आदेश है
धड़कनों को कैद करने की तय्यारी है
वक़्त इम्तेहान लेने में मसरूफ़ है
काली रातें न कटने पर आमदा है
हाँ मगर इंसानियत अभी जिंदा हैं
होसलें टूटने को तैयार नहीं हैं
असल में ये कोशिश बेकार नहीं है
वक्त चाहें कैसा भी हो, गुज़र जाना है
सवेरा होने में है,
बुरे दिन को अब ठहर जाना हैं
"अरुण व्यास"

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23 APR 2021 AT 12:43

बहुत बुरा भी हुआ तो मर जाएंगे हम
पर कहीं भी सर नहीं झुकाएंगें हम

हमारी आँखों में देख के बता ज़रा
क्या तुझे अब भी लगता है टूट जाएंगे हम

अरुण व्यास

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22 APR 2021 AT 15:40

राह में रूक कर देखें कि
क्या लेके जाते हैं लोग
या फिर खाली हाथ ही
घर से निकल जाते हैं लोग

पैसा कभी नहीं बदलता
कहिं भी जाकर के
मगर पैसे के आने भर से
ही यूँ बदल जाते हैं लोग

Arun Vyas

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14 APR 2020 AT 22:05

घर का उजाला देखा और बाहरी वीराना देखा
बस इन दो रस्तों में उलझा सारा ज़माना देखा

जब घर पर यूं ही खाली बैठे मन उकताने लगा
तो माँ के आंचल में सोकर एक ख्वाब पुराना देखा

अरुण

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2 APR 2020 AT 17:27

कुछ उलझनों का कोई आधार नहीं होता
मुल्क से बढ़कर परवरदिगार नहीं होता

हमारे-तुम्हारे सिवा सब समझते हैं
मुहब्बत से बड़ा कोई हथियार नहीं होता

- अरुण व्यास

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28 OCT 2019 AT 19:19

कुछ लिखने में घबराओं मत
लिख कर हिचकिचाओं मत

अब ग़र ज्यादा ही डर रहे हो
तो लिखा हुआ सुनाओ मत

जब वो तुमसे दूरी चाहे
उसके करीब जाओ मत

अब जो बताना हैं बता दो
अब ज़ज्बात छुपाओ मत

Arun Vyas

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