ज़ज्बात और अल्फाज़ दोनों बहते दरिया का ही हिस्सा हैं।जो कलम , किताब और श़ायर से मिले तो शा़यरी बन जाते हैं।। - MTB_writes...
ज़ज्बात और अल्फाज़ दोनों बहते दरिया का ही हिस्सा हैं।जो कलम , किताब और श़ायर से मिले तो शा़यरी बन जाते हैं।।
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