एक 4 साल की कहानी
रिश्ता शुरू करना था,झूठे कसमें वादें खा के बहलाना था उस लड़की को उसको
तुम डरो मत तुम्हारे आगे खड़ा रहूंगा चाहे हो कोई मुश्किल,
जब जरूरत पड़ी दिखा नही वो चारो ओर
बातें करता कमाल का था वो उसके जैसा कोई नई है ये बताता था वो
उस चेहरे के पीछे कई रंग छिपाया था वो,करता हु शिद्दत से प्यार ये दोहराता था वो
आवाज नई सुनता अधूरा सा हो जाता हूं में,तुम ही हमसफर हो मेरी ये कसम खाता था वो
हुआ कुछ ऐसा मिला उसे मेहमान नया,यू बदला वो शख्स
जैसे गिरगिट भी ना बदले रंग ऐसे
पढ़ा था वो वाणिज्य ,रेहता था हमेशा profit के सोच मे
चाहत थी ब्रांड की उसे ,करना पड़े चाहे कोई कांड
था एक शख्स ऐसा ना सोचा कभी निकलेगा वो ऐसा...
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