खुद के अक्स को उस आईने में ढूंढ रहे थे,,,
बिते साल हम न जाने kyu galat aaina ghur rhe the।।-
पतझड़ के पत्तों सी है मेरी क़िस्मत,,
डाल को छोड़ ज़मी पर सिमट जाती है,।।
-
Somewhere i read that we r all bad in someone's story...
But what if we are bad in our own story....-
न कोई शिकवा न शिकायत है तुझसे ज़िन्दगी,,
बस उस क़िस्मत से कहना अब हम थक गए हैं।।।।
-
सोचा था मरहम सा बन जायेंगी ये ओस की बूंदें,,
पर इन्होंने तो जलन बढ़ा दी हैं।।।-
वक़्त-बेवक़्त तेरा छलक आना,,
कभी बस दो बूंद ,तो कभी समंदर सा बह जाना।।
यूँ ही साथ तू हर पल निभाना,,
बस गुज़ारिश है तुझसे की जब हम तन्हा हों तब ही प्यार जताना।।।।।
-
यूँ भागते वक़्त से लम्हें चुरा लेना।।।
सीखा है मैंने उनकी आँखों से दर्द में भी मुश्कुरा लेना।।
-
मिलने को समन्दर से बेताब हैं नदियाँ,,,
जख्मों पे नमक पिरोने की न जाने,ये कैसी दीवानगी है।।।-
हर तरफ है रौशनी,,
.....हर तरफ़ है चाँदनी,,
ज़रा अपनी पलकें तो उठा लो साहब।।।-